शेअर मार्केट में इस्तेमाल होनेवाली संज्ञाएँ !

गुरुवार, मई 26, 2011 3 Comments A+ a-


शेअर / स्टॉक / इक्विटी : कंपनी की हिस्सेदारी

बुल मार्केट : केवल तेजी वाला, बढ़त का , ऊपर जानेवाला , अपट्रेंड वाला मार्केट
बेअर मार्केट : केवल मंदी का , घटनेवाला, निचे जानेवाला , डाउन ट्रेंड वाला मार्केट .
लॉन्ग पोजीशन : खरीद की हुई और होल्ड की जाने वाली पोजीशन  .
शोर्ट पोजीशन : शोर्ट सेल करना .
ओपनिंग प्राइज : बाजार शुरू होते ही शेअर का पहला सौदा जिस कीमत पर होता है वह कीमत .
क्लोसिंग प्राइज : बाजार के अंत के ३० मिनट का अवरेज प्राइज / लास्ट वेटेड अवरेज प्राइज
शोर्ट सेल्लिंग : अकाउंट में फलां कंपनी के शेअर ना होते हुए भी शेअर बेचना .
बाय बेअक : शोट सेल्लिंग किये हुए शेअर खरीद लेना .
५२ विक हाई/ लो : फलां शेअर का ५२ हफ्ते की सबसे हाई / ऊँची कीमत और ५२ हफ्ते की सबसे लोवर / निचली कीमत .
आल टाइम हाई / लो  : फलां शेअर जबसे शेअर बाजार में आया हाई तब से आज तक का / अब तक की  सबसे ऊँची कीमत और निचली कीमत .
वोल्यूम : कुल कितने शेअरों की खरीद फरोख्त हुई इस बात का आंकड़ा / संख्या .
वेल्यु : फलां शेअर के जितनी संख्या में कारोबार हुए उन कुल शेअरों की कीमत / टर्नओवर .
बिड : शेअर खरीदने की लिए खरीददार द्वारा लगे गई सबसे उम्दा/ ऊँची कीमत .
आस्क : बिक्रेता द्वारा शेअर बेचने के लिए लगे गई सबसे उम्दा / ऊँची कीमत .
स्प्रेड : शेअर की खरीद और विक्री की कीमतों में अंतर / भारी फर्क . उदा. buy price १०० / sell   price 105
बेसिस पॉइंट :  एक यूनिट जो १०० का एक हिस्सा होता है जो एक प्रतिशत है |
                [ सूत्र : १% बदलाव = १०० बेसिस पॉइंट्स और ०.०१ % बदलाव मतलब = १ बेसिस पॉइंट ]
                उदा. रिलायंस अगर १% गिरता है तो कहेंगे की : रिलायंस १०० बेसिस पॉइंट निचे आया |
फेस वेल्यु : कंपनी के शेअर की खुद कंपनी के दफ्तर में दर्ज कीमत / कंपनी की नजर में एक शेअर की असली कीमत
डिविडेंड : निवेशित कंपनी की कमी में से शेअर धारक/निवेशक को कंपनी की और से किया जानेवाला कमाई का हिस्स / पैसा .                
             जो की कंपनी के निर्देशन कमिटी द्वारा तय किया जाता है ?
आउटस्टैंडइंग  शेअर एवं लोक्ड शेअर्स :
                           [ आउटस्टैंडइंग शेअर्स : कंपनी द्वारा हर किसी निवेशक / संस्था / व्यक्ति के लिए विनाशार्ट मार्केट कीमत  पर दिए जाने वाले शेअर्स ]
                         [ लोक्ड शेअर्स : कंपनी के द्वारा फौंडर / संस्था/ व्यक्ति के शेअर्स जो एक निश्चित कार्यकाल से पहले नही बेचे
                                    जा सकते . इस वजह से वे उन्ही के पास जमा रहते है ]
इक्विटी कैपिटल : कंपनी द्वारा इक्विटी में निविषित सम्पूर्ण राशी . कुल इश्यु किये हुए शेअर्स की कीमत व फेस्वेल्यु.

अपडेट्स बाकि है .....

3 टिप्पणियाँ

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20 दिसंबर 2011 को 9:54 pm बजे delete

धन्यवाद ..

http://www.niftylaxmi.blogspot.com/

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Vinayak samindre
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28 मई 2013 को 12:14 am बजे delete

बहुत बहुत धन्यवाद...

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